जबलपुर अस्पताल अग्निकांड पर बड़ा खुलासा: बिना फायर NOC के चल रहा था निजी हॉस्पिटल; नगर निगम और CMHO की बड़ी चूक सामने आई

जबलपुर अस्पताल अग्निकांड पर बड़ा खुलासा: बिना फायर NOC के चल रहा था निजी हॉस्पिटल; नगर निगम और CMHO की बड़ी चूक सामने आई

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भोपाल10 मिनट पहलेलेखक: राजेश शर्मा

जबलपुर के जिस न्यू लाइफ अस्पताल में आग लगने से 8 लोगों की मौत हुई है, उसमें फायर सेफ्टी के इंतजाम नहीं थे। यह खुलासा नगर निगम जबलपुर की फायर ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है। दैनिक भास्कर की पड़ताल में पता चला है कि हॉस्पिटल ने मार्च 2021 में प्रोविजनल फायर NOC ली थी। जिसकी वैलिडिटी मार्च 2022 में समाप्त हो गई। बावजूद इसके अस्पताल चल रहा था। नगर निगम के अफसरों ने इसकी सूचना देने की औपचारिकता निभाने के लिए 29 दिसंबर 2021 को CMHO काे चिट्‌ठी लिखी थी।

सरकार के सूत्रों का कहना है कि यदि अस्पताल ने प्रोविजनल फायर NOC ली थी, तो उसके स्वीकृत प्लान के अनुसार हॉस्पिटल में आग बुझाने के लिए फायर सेफ्टी इंस्ट्रूमेंट्स लगाए जाने थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यदि नगर निगम के अफसर इसे गंभीरता से लेते, तो शायद हादसे को टाला जा सकता था। जबलपुर में 125 अस्पताल-नर्सिंग होम्स संचालित हैं। इनमें से 17 के पास फायर सेफ्टी क्लीयरेंस नहीं है।

जबलपुर के इन 17 अस्पतालों के पास नहीं है फायर सेफ्टी क्लीयरेंस

सिद्धि विनायक हॉस्पिटल, भारत हॉस्पिटल, मेडिकेयर हॉस्पिटल, राधेकृष्ण हॉस्पिटल, लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल, होपवेल हॉस्पिटल, उदय नर्सिंग होम, शिवम हॉस्पिटल, हरिओम मल्टी स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, बुधौलिया हॉस्पिटल, स्मार्ट सिटी हॉस्पिटल, NAB हॉस्पिटल, मिडास हॉस्पिटल, जन ज्योति आई हॉस्पिटल, शिवम् हॉस्पिटल, साईं हॉस्पिटल व मदनमहल हॉस्पिटल।

जिले के इन अस्पतालों में सेफ्टी में कमी

जीवन ज्योति हॉस्पिटल, NAB हॉस्पिटल, गेस्ट्रो एंड लीवर केयर हॉस्पिटल, काजल मैटरनिटी चिल्ड्रन हॉस्पिटल, आशीष हॉस्पिटल, सुधा मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, मिडास हॉस्पिटल, जन ज्योति आई हॉस्पिटल, साईं हॉस्पिटल, स्वास्तिक हॉस्पिटल, न्यू लाइफ मल्टी स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, समर्थ श्री मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, आदर्श नर्सिंग होम, शिव सागर हॉस्पिटल, दुबे सर्जिकल एंड डेंटल हॉस्पिटल, दादा वीरेन्द्रपुरी हॉस्पिटल, संस्कारधानी हॉस्पिटल, बालाजी हॉस्पिटल में फायर सेफ्टी की कमी है।

जरूरी है अस्पतालों को फायर प्लान देना

फायर सेफ्टी के नियमानुसार कोई अस्पताल या नर्सिंग होम यदि 500 वर्गमीटर में बना है या अस्पताल की बिल्डिंग नौ मीटर से ऊंची है। उसका निर्माण क्षेत्रफल कितना भी है, ऑडिट जरूरी है। अभी तक जबलपुर में फायर सेफ्टी पर उतना ध्यान नहीं दिया गया, इसलिए इसके दायरे में आने वाली इमारतों की पुख्ता जानकारी निगम के पास नहीं है। सभी अस्पतालों को फायर प्लान या बिल्डिंग में आग से संबंधित पर्याप्त इंतजामों के बारे में निगम को बताना जरूरी होता है।

7 दिन में मांगी थी प्रदेश के सभी अस्पतालों की ऑडिट रिपोर्ट

राज्य सरकार ने मई 2021 में प्रदेश के सभी अस्पतालों के सेफ्टी ऑडिट करने के निर्देश जारी किए थे। उस समय नगरीय विकास एवं प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा था कि कोविड के दौरान अस्पतालों में मरीज बढ़े हैं। इसके चलते बिजली खपत भी बढ़ी है। ऐसे में अस्पतालों में अग्नि और लिफ्ट सेफ्टी का महत्व बढ़ गया है। उन्होंने मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम, 2012 के नियम-87 (5) के तहत सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों की फायर ऑडिट और लिफ्ट सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट 7 दिन में मांगी गई थी।

दो महीने पहले भेजा रिमाइंडर

मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि जब नगर निगमों से रिपोर्ट नहीं मिली, तो दो महीने पहले (17 मई 2022) को राज्य सरकार ने सभी नगर निगमों व नगर पालिकाओं को अस्पतालों का सेफ्टी ऑडिट करने के संबंध में रिमाइंडर भेजा था। बावजूद निगम अफसरों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

भास्कर के इस खुलासे के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस ने राज्य सरकार पर निशाना साधा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जंगलराज का जनक बताया।

भोपाल में हमीदिया अग्निकांड के बाद सीएम ने भी दिए थे निर्देश

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 8 नवंबर 2021 को भोपाल के हमीदिया अस्पताल में आग लगने से 8 मासूमों की मौत के बाद भी फायर सेफ्टी ऑडिट के निर्देश दिए थे। तब मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा था- राजधानी के अस्पताल में लगी आग लापरवाही का नतीजा है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। ‘इन बच्चों को बचाने की जिम्मेदारी हमारी (सरकार) की थी, क्योंकि वे हमारे संरक्षण में थे। हमें भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने की जरूरत है।

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