तय होगा किस हद तक है छूट: इंटेलिजेंस एजेंसियों पर RTI कानून लागू है या नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट को दिया फैसला करने का आदेश

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नई दिल्ली40 मिनट पहले

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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट को यह फैसला करने का आदेश दिया है कि सूचना का अधिकार (RTI) कानून सरकारी इंटेलिजेंस एजेंसियों व सुरक्षा बलों पर लागू होना चाहिए या नहीं।

शीर्ष अदालत ने यह निर्देश दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज करते हुए दिया, जिसमें हाईकोर्ट ने एक विभाग को RTI कानून के तहत अपने एक कर्मचारी को वरिष्ठता क्रम व प्रमोशन से जुड़ी जानकारी मुहैया कराने के लिए कहा गया था।

गाड़ी को घोड़े से आगे रखने जैसा फैसला
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट ने अपना आदेश सरकारी विभाग की उस आपत्ति पर कोई निर्णय लिए बिना जारी किया था, जिसमें विभाग ने तर्क दिया था कि RTI कानून उस पर लागू नहीं होता है।

पीठ ने कहा, यह अपनी तरह का विशिष्ट मामला था, जिसमें विभाग ने कहा था कि RTI कानून उस पर लागू नहीं होता है। इसके बावजूद और इस आपत्ति पर कोई फैसला लिए बिना ही हाईकोर्ट ने विभाग को अपील करने वाले कर्मचारी को RTI कानून के तहत दस्तावेज देने का आदेश दे दिया। यह आदेश गाड़ी को घोड़े से आगे रखने जैसा है।

8 सप्ताह में स्पष्ट करो मामला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हाई कोर्ट को पहले विभाग या संगठन पर RTI कानून लागू होने का मुद्दा सुलझाना चाहिए था। पीठ ने कहा, हम हाईकोर्ट को पहले यह तय करने का निर्देश दे रहे हैं कि याचिका दाखिल करने वाला विभाग RTI कानून के दायरे में आता है या नहीं। इसके बाद हाई कोर्ट संबंधित कर्मचारी के आवेदन पर कोई फैसला करे। यह सब काम 8 सप्ताह के अंदर पूरा होना चाहिए।

क्या था पूरा मामला
दरअसल शीर्ष अदालत केंद्र सरकार की तरफ से दिल्ली हाई कोर्ट के 2018 के एक आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हाई कोर्ट ने केंद्रीय विभाग को अपने कर्मचारी को RTI कानून के तहत मांगी गई जानकारी 15 दिन में मुहैया कराने को कहा था।

धारा 24 के तहत मिली हुई है इंटेलिजेंस व सुरक्षा संगठनों को छूट
केंद्र सरकार की तरफ से पेश वकील ने तर्क दिया था कि जिस विभाग से जानकारी मांगी गई है, उसे RTI कानून की धारा 24(1) के तहत सूचना देने से छूट मिली हुई है।

RTI कानून की धारा 24 में कुछ इंटेलिजेंस व सुरक्षा संगठनों को पारदर्शिता कानून से छूट मिली हुई है। हालांकि इन संगठनों को भी भ्रष्टाचार व मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़े आरोपों में जानकारी मुहैया करानी पड़ती है।

हाई कोर्ट का कहना था कि कर्मचारी ने जो जानकारी मांगी है, उससे याचिका दाखिल करने वाले विभाग की गोपनीयता और सुरक्षा को कोई खतरा नहीं पहुंचता है। कर्मचारी को केवल वरिष्ठता को लेकर पूर्वाग्रह है। ऐसे में कर्मचारी को यह जानकारी उपलब्ध कराना RTI कानून की धारा 24 के दायरे में नहीं आता है।

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