फिर उठी आंदोलन से निहंगों को हटाने की मांग: संयुक्त किसान मोर्चा के लिए परेशानी बने निहंग, बलवीर सिंह राजेवाल बोले- उन्हें चले जाना चाहिए

12 मिनट पहले

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सिंघु बॉर्डर पर एक साइड निहंगों का मोर्चा, दूसरी तरफ अर्धसैनिक बल। - Dainik Bhaskar

सिंघु बॉर्डर पर एक साइड निहंगों का मोर्चा, दूसरी तरफ अर्धसैनिक बल।

कृषि कानूनों को लेकर सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच निहंग सिंह कई बार संयुक्त किसान मोर्चा के लिए समस्या बने हैं। यही कारण है कि दो माह पहले बलवीर सिंह राजेवाल को कहना पड़ा था कि निहंग सिंहों का यहां कोई काम नहीं है, उन्हें यहां से चले जाना चाहिए। तब उनकी इस बात का विरोध हुआ था और कहा गया था कि वह किसानों की हिमायत पर आए हैं तो कैसे हटाया जा सकता है। मगर अब जिस तरह की घटना हुई है, उसके बाद यह आवाज फिर से उठने लगी है।

निहंग सिंह संयुक्त किसान मोर्चा के स्टेज के बिल्कुल पीछे तंबू लगाकर बैठे हुए हैं। यहां पर उनकी ओर से श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश भी किया हुआ है। घोड़े बांधकर रखे हुए हैं। प्रशासन की तरफ से कंकरीट की दीवारें सड़क पर ही खड़ी कर दी गई हैं। निहंग सिंह अकसर स्टेज पर नंगी तलवारें लेकर आते हैं और किसान नेताओं को ही ललकारने लगते हैं। यही नहीं वह कई बार किसान नेताओं को अपने आदेश भी सुना चुके हैं।

26 जनवरी को लाल किले पर जाने में भी आगे रहे थे
26 जनवरी को जब दिल्ली में किसानों की तरफ से ट्रैक्टर परेड की गई थी तो लाल किले की तरफ जाने वालों में सबसे आगे निहंग सिंह ही थे। बैरिकड तोड़ने की बात आई तो भी वह सबसे आगे रहे। ट्रैक्टर मार्च के आगे निहंग सिंहों के घोड़े लगे थे और इसके बाद वे ट्रैक्टर लेकर आगे चले थे। तब भी इन्हें लेकर कई तरह की आवाजें उठी थीं, मगर किसी ने इनकी तरफ ध्यान ही नहीं दिया और यह घटनाक्रम हो गया। सिंघु पर हुई हत्या के बाद उन्हें हटाने की मांग फिर से उठने लगी है।

योगेंद्र यादव की ओर से किया गया ट्वीट

योगेंद्र यादव की ओर से किया गया ट्वीट

निहंग सिंहों से यहां से हटने की मांग
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव का कहना है कि इस हत्या ने सभी को झंझोड़कर रख दिया है। बेअदबी जैसी घटना निंदनीय हैं, मगर इसे लेकर खुद इंसाफ करना भी ठीक नहीं है। उन्होंने कहा है कि डेढ़ माह पहले से ही वह और मोर्चा के तमाम नेता उनसे अपील कर चुके हैं कि वह यहां से चले जाएं। यह कोई धार्मिक मोर्चा नहीं है, बल्कि यह किसान मोर्चा है। इसमें उनके लिए कोई जगह नहीं है, मगर वह हटने को तैयार नहीं हैं।

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