मैं कुर्सी का कभी गुलाम नहीं बनूंगा: गुजरात में SWAGAT पोर्टल के 20 साल पूरे होने पर बोले पीएम मोदी

मैं कुर्सी का कभी गुलाम नहीं बनूंगा: गुजरात में SWAGAT पोर्टल के 20 साल पूरे होने पर बोले पीएम मोदी

अहमदाबाद7 घंटे पहले

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पीएम मोदी ने कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा- लाभार्थी इसके सबसे बड़े साक्षी हैं। - Dainik Bhaskar

पीएम मोदी ने कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा- लाभार्थी इसके सबसे बड़े साक्षी हैं।

गुजरात में आज स्टेट वाईड अटेंशन ऑन ग्रिवांसेस थ्रू एप्लीकेशन ऑफ टेक्नोलॉजी (SWAGAT) पोर्टल को लॉन्च हुए पूरे 20 साल हो गए। वर्ष 2003 में आज ही दिन गुजरात के सीएम रहते हुए नरेंद्र मोदी ने यह पोर्टल लॉन्च किया था। अहमदाबाद में आयोजित कार्यक्रम को उन्होंने वर्चुअली संबोधित किया। उन्होंने कहा- जब मैंने इस पोर्टल को लॉन्च किया था, तभी यह सोच लिया था कि मैं किसी भी सूरत में कुर्सी की मजबूरियों का गुलाम नहीं बनूंगा।

पीएम मोदी ने आगे कहा- मुझे अभी पुराने अनुभवों को सुनने का, पुरानी यादें ताजा करने का मौका मिला। मुझे इस बात का संतोष है कि हमने जिस उद्देश्य से ‘स्वागत’ को शुरू किया था वो पूरी तरह सफल रहा। इसके जरिए लोग ना सिर्फ अपनी समस्या का हल कर पा रहे हैं बल्कि अपने साथ-साथ सैकड़ों परिवारों की बात भी उठा रहे हैं।’

पीएम मोदी ने बतौर गुजरात के सीएम 24 अप्रैल 2003 को पहली बार जिला और राज्य स्तर पर इस पोर्टल को लॉन्च किया था।

पीएम मोदी ने बतौर गुजरात के सीएम 24 अप्रैल 2003 को पहली बार जिला और राज्य स्तर पर इस पोर्टल को लॉन्च किया था।

हमेशा वैसा ही रहूंगा, जैसा मुझे लोगों ने बनाया है
उन्होंने आगे कहा- मैंने जब स्वागत की शुरुआत की थी तो मुझे बहुत ज़्यादा समय मुख्यमंत्री बने नहीं हुआ था। लोग मुझसे कहा करते थे कि एक बार कुर्सी मिल जाती है तो लोग बदल जाते हैं। लेकिन मैं मन में तय करके बैठता था कि मैं हमेशा वैसा ही रहूंगा, जैसा मुझे लोगों ने बनाया है। लोगों के बीच से जो अनुभव प्राप्त किए हैं। मैं किसी भी सूरत में कुर्सी की मजबूरियों का गुलाम नहीं बनूंगा। गवर्नेंस के गुजरात मॉडल की आज पूरी दुनिया में एक पहचान बन गई है। स्वागत के तौर पर हमने एक प्रैक्टिकल सिस्टम तैयार किया है। स्वागत ने जन सामान्य के अंदर एक विश्वास पैदा किया है।

गवर्नेंस होती है- इनोवेशन से, गवर्नेंस होती है- नए आइडिया से
पीएम मोदी ने कहा, ‘हमारे देश में दशकों से ये मान्यता रही थी कि कोई भी सरकार आए उसे बनी-बनाई लकीरों पर ही चलते रहना होता है। लेकिन, ‘स्वागत’ के माध्यम से गुजरात ने इस सोच को भी बदलने का काम किया है। हमने बताया कि गवर्नेंस सिर्फ नियम, कानून और लकीरों तक सीमित नहीं होती है। गवर्नेंस होती है- इनोवेशन से, गवर्नेंस होती है- नए आइडिया से। गवर्नेंस प्राणहीन व्यवस्था नहीं है, ये जीवंत व्यवस्था होती है, संवेदनशील व्यवस्था होती है।’

इसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों और सरकार के बीच प्रभावी और समयबद्ध तरीके से उनकी दिन-प्रतिदिन की शिकायतों को हल करना था।

इसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों और सरकार के बीच प्रभावी और समयबद्ध तरीके से उनकी दिन-प्रतिदिन की शिकायतों को हल करना था।

20 साल पहले सीएम रहते हुए किया था लॉन्च
मोदी ने 24 अप्रैल 2003 को पहली बार जिला और राज्य स्तर पर लॉन्च किया था और बाद में इसे गांव और तालुका स्तर पर ले जाया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों और सरकार के बीच प्रभावी और समयबद्ध तरीके से उनकी दिन-प्रतिदिन की शिकायतों को हल करना था। इस योजना को टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नए प्रयोग के रूप में देखा गया था। आज से 20 साल पहले इस योजना का शुरू किया जाना टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम था। मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने इस योजना को उन लोगों के लिए लॉन्च किया था, जिन्हें सरकार या सिस्टम से शिकायत थी।

संयुक्त राष्ट्र के सार्वजनिक सेवा पुरस्कार से सम्मानित हो चुका है कार्यक्रम
इस कार्यक्रम का नाम ‘स्वागत’ रखा गया। SWAGAT यानि स्टेट वाईड अटेंशन ऑन ग्रिवांसेस थ्रू एप्लीकेशन ऑफ टेक्नोलॉजी। स्वागत यानि स्थानीय भाषा में वेलकम जिसमें आम नागरिकों का स्वागत है। गुजरात में तो स्वागत का इतना असर रहा है कि अप्रैल 2003 से मार्च 2023 तक 56,3806 आवेदनों में 99.91 फीसदी शिकायतें सुलझा ली गई हैं। खास बात ये कि ज्यादातर मुश्किलें स्थानीय स्तर पर ही सुलझा ली जातीं हैं। बता दें, यह कार्यक्रम 2010 में संयुक्त राष्ट्र के सार्वजनिक सेवा पुरस्कार से सम्मानित भी हो चुका है।

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