रिपोर्ट: ब्रिटेन के इतिहास में सबसे खराब रही ‘कोरोना से लड़ाई’, सरकार ने लोगों को मौत को मुंह में धकेला

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, लंदन
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Tue, 12 Oct 2021 08:07 AM IST

सार

कॉमन्स सांइंस एंड टेक्नोलॉजी कमेटी और हेल्थ एंड केयर कमेटी की यह रिपोर्ट 50 से अधिक गवाहों पर आधारित है। इसमें पूर्व स्वास्थ्य सचिव मैट हैनकॉक, कई वैज्ञानिक, सलाहकार शामिल हैं।
 

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कोरोना वायरस के खिलाफ ब्रिटेन की लड़ाई इतिहास की सबसे बड़ी विफलताओं में से एक है। पिछले 100 वर्षों की यह सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनकर सामने आई और इसने सरकारी मशीनरी की कलई खोल कर रख दी। यह दावा ब्रिटेन की एक रिपोर्ट में किया गया है।  कॉमन्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी कमेटी और हेल्थ एंड केयर कमेटी की यह रिपोर्ट 50 से अधिक गवाहों पर आधारित है। इसमें पूर्व स्वास्थ्य सचिव मैट हैनकॉक, कई वैज्ञानिक, सलाहकार शामिल हैं।

शिथिल रवैय ने लोगों को मौत के मुंह में धकेला 
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी के खिलाफ सरकार का रवैया बहुत ही शिथिल रहा, जिसने लोगों को मौत के मुंह में धकेल दिया। लापरवाही के कारण शुरुआती दौर में मृत्यु दर बढ़ती चली गई और अन्य देशों की तुलना में ब्रिटेन का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। 

23 मार्च 2020 तक नहीं लगाया गया लॉकडाउन 
जब कोरोना संक्रमण फैलते ही अन्य देशों ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी। तब भी ब्रिटेन की सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा नहीं की। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने 23 मार्च के बाद लॉकडाउन की घोषणा की। साथ ही कोरोना से निपटने के लिए बनाई गई कमेटी ने भी गठन के दो महीने बाद कोई बैठक की। इससे हालात बिगड़ते चले गए और मृत्यु दर बढ़ गई। 

सबसे पहले शुरू किया कोरोना टेस्ट, फिर भी बिगड़े हालात
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ब्रिटेन में सबसे पहले कोरोना टेस्ट विकसित किया गया। इसके बावजूद यहां के हालात सबसे बुरे रहे। इससे साबित होता है कि सरकार का रवैया बहुत ही खराब रहा, अधिकारी और वैज्ञानिक इस महामारी के संभावित नुकसान को पता लगाने में पूरी तरह विफल रहे। 

विस्तार

कोरोना वायरस के खिलाफ ब्रिटेन की लड़ाई इतिहास की सबसे बड़ी विफलताओं में से एक है। पिछले 100 वर्षों की यह सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनकर सामने आई और इसने सरकारी मशीनरी की कलई खोल कर रख दी। यह दावा ब्रिटेन की एक रिपोर्ट में किया गया है।  कॉमन्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी कमेटी और हेल्थ एंड केयर कमेटी की यह रिपोर्ट 50 से अधिक गवाहों पर आधारित है। इसमें पूर्व स्वास्थ्य सचिव मैट हैनकॉक, कई वैज्ञानिक, सलाहकार शामिल हैं।

शिथिल रवैय ने लोगों को मौत के मुंह में धकेला 

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी के खिलाफ सरकार का रवैया बहुत ही शिथिल रहा, जिसने लोगों को मौत के मुंह में धकेल दिया। लापरवाही के कारण शुरुआती दौर में मृत्यु दर बढ़ती चली गई और अन्य देशों की तुलना में ब्रिटेन का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। 

23 मार्च 2020 तक नहीं लगाया गया लॉकडाउन 

जब कोरोना संक्रमण फैलते ही अन्य देशों ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी। तब भी ब्रिटेन की सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा नहीं की। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने 23 मार्च के बाद लॉकडाउन की घोषणा की। साथ ही कोरोना से निपटने के लिए बनाई गई कमेटी ने भी गठन के दो महीने बाद कोई बैठक की। इससे हालात बिगड़ते चले गए और मृत्यु दर बढ़ गई। 

सबसे पहले शुरू किया कोरोना टेस्ट, फिर भी बिगड़े हालात

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ब्रिटेन में सबसे पहले कोरोना टेस्ट विकसित किया गया। इसके बावजूद यहां के हालात सबसे बुरे रहे। इससे साबित होता है कि सरकार का रवैया बहुत ही खराब रहा, अधिकारी और वैज्ञानिक इस महामारी के संभावित नुकसान को पता लगाने में पूरी तरह विफल रहे। 

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