रिपोर्ट-2022 में सबसे ज्यादा 7.5 लाख विदेश पढ़ने गए: महानगरों से ज्यादा छोटे शहरों और गांव के स्टूडेंट्स विदेश पढ़ने जा रहे

रिपोर्ट-2022 में सबसे ज्यादा 7.5 लाख विदेश पढ़ने गए: महानगरों से ज्यादा छोटे शहरों और गांव के स्टूडेंट्स विदेश पढ़ने जा रहे

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नई दिल्लीएक मिनट पहले

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पिछले साल विदेश जाकर पढ़ाई करने वालों की संख्या 6 साल में सबसे ज्यादा रही। संसद में दिए गए जवाब के अनुसार, 2022 में 7.5 लाख स्टूडेंट्स पढ़ाई के लिए विदेश गए। खास बात यह है कि अब दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों की बजाय देश के छोटे शहरों, कस्बों और गांवों के छात्र अधिक संख्या में पढ़ने के लिए विदेश जा रहे हैं।

वजह-मौके ज्यादा, सैलरी ज्यादा
इसकी एक वजह देश के अच्छे कॉलेजों में दाखिला न मिल पाना है तो दूसरी वजह मौकों की कमी है। देश में नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्द्धा बढ़ी है। एआई और आईटी जैसे सेक्टरों में विदेशों में ज्यादा मौके हैं। वहां वेतन भी ज्यादा है। इसलिए विद्यार्थी दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं।

ओडिशा के बालासोर के नवीन कुमार ने फॉरेंसिक साइंस में पढ़ाई के लिए स्वीडन में एडमिशन लिया है। वे कहते हैं- मैं भारत में ही पढ़ता, लेकिन फॉरेंसिक साइंस में यहां मौके बहुत कम हैं।

विदेश जाने वालों की संख्या बढ़ी, फ्रॉड भी बढ़ा
देश में जैसे-जैसे विदेशों में पढ़ाई के लिए जाने का ट्रेंड बढ़ रहा है। विदेश जाने में मदद करने वाली कंसल्टेंसीज का बाजार भी बड़ा हो रहा है। देश भर में ऐसी कंसल्टेंसीज खुल रही हैं।

गुजरात की कंसल्टेंसी ‘नो बॉर्डर्स’ के समीर यादव कहते हैं- 4 साल पहले छोटे शहरों और कस्बों से कम आय वाले घरों के 30% बच्चे पढ़ने विदेश जा रहे थे। यह संख्या बढ़कर दोगुनी यानी 60% हो गई है। ये बच्चे घर या खेती की जमीन बंधक रखकर विदेश जा रहे हैं।

​​​​एजूकेशन कंसल्टेंसी कॉलेजिफाई के सीईओ आदर्श खंडेलवाल कहते हैं- फ्रॉड के मामले भी बढ़े हैं। अभी हाल ही में कनाडा ने 700 भारतीय बच्चों को डिपोर्ट किया है। उन्हें एजेंट ने फर्जी तरीके से दाखिला दिला दिया था।

2022 में सबसे ज्यादा छात्र अमेरिका और कनाडा गए
अमेरिका4.65 लाख
कनाडा1.83 लाख
यूएई1.64 लाख
ऑस्ट्रेलिया1 लाख
सऊदी अरब65 हजार
ब्रिटेन55 हजार
जर्मनी35 हजार

चीनी छात्रों पर प्रतिबंध
कोरोना की वजह से दुनिया के कई देशों में अब भी चीन के छात्रों पर प्रतिबंध लगा हुआ है। विदेशों में पढ़ने के लिए भारतीय छात्रों को सबसे ज्यादा प्रतिस्पर्द्धा चीनी छात्रों से ही करनी पड़ती है। भारतीय इसे मौके के तौर पर ले रहे हैं।

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