साइबर हमले रोकने के लिए सरकार की खास तैयारी, महाराष्ट्र में तैयार हुआ फूल प्रूफ प्लान

नई दिल्ली: साइबर क्राइम (Cyber Crime) या साइबर आतंकवाद (Cyber Terrorism) के बढ़ते खतरे को देखते हुए अब महाराष्ट्र (Maharahstra) पूरे देश मे ऐसा पहला राज्य बनने जा रहा है जो अलग अलग साइबर सेल के लिए एक पूरी नोडल एजेंसी का प्रोजेक्ट ले कर आ रहा है. साइबर सिक्योरिटी नाम के प्रोजेक्ट के लिए 1000 करोड़ का बजट रखा गया है और मुंबई के पास महापे में करीब 1 लाख की बिल्डिंग भी ले ली गई है.

फैसले की वजह

आपको बता दें कि 12 अक्टूबर 2020 को जब अचानक से मुंबई और इसके आसपास की बिजली गुल हो गई थी. उसकी वजह एक साइबर अटैक ही था. जिसका पता कई महीने की जांच के बाद पता चला था. इन्वेस्टिगेशन में पता चला था कि महाट्रांसको के सर्वर पर 13 ट्रॉजन हौरसेस थे. ये एक तरह का साइबर अटैक था. महाराष्ट्र सरकार के लिए ये एक बड़ा झटका था. 

3 ट्रिलियन की इकोनॉमी में कहां है भारत?

महाराष्ट्र सरकार के गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने ऐसे हमलों पर चिंता जताई है. आज साइबर क्राइम पूरी दुनिया में 3 ट्रिलियन की इकोनॉमी है. ट्रेन सिग्नलिंग सिस्टम को हैक करके दो ट्रेनों को आपस में भिड़ाया जा सकता है. वहीं वॉटर प्यूरिफिकेशन प्लांट के पानी में जहर भी मिलाया जा सकता है. इसी को ध्यान में रख कर महाराष्ट्र सरकार देश मे पहली बार साइबर सिक्योरिटी प्रोजेक्ट लाई है.

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ये करीब 1000 करोड़ का प्रोजेक्ट है जिसे मुंबई से सटे महापे इलाके में 1 लाख स्क्वायर फुट की बिल्डिंग में शुरू किया जाने वाला है. 

क्या है साइबर सिक्योरिटी प्रोजेक्ट?

लेकिन आखिर ये साइबर सिक्योरिटी प्रोजेक्ट है क्या और ये कैसे काम करेगा. तो इसके तीन सबसे अहम भाग है. 

1. सर्ट महाराष्ट्र यानि क्रिटिकल इमरजेंसी रिस्पांस टीम – इसमें विश्व के सबसे बेहतरीन टूल्स, सॉफ्टवेयर और एक्सपर्ट्स की टीम रहेगी, जो पुलिस अधिकरियों के साथ मिलकर काम करेगी.  महाराष्ट्र में कही पर भी साइबर क्राइम हुआ जैसे रेंसमव्हेर, हैकिंग, पोर्नोग्राफी की कोशिश हुई तो तुरंत ये टीम एक्टिव हो जाएगी और ऐसे साइबर क्राइम से महाराष्ट्र को बचाएगी. 

2. TAI यानि टेक्नोलॉजी असिस्टेड इन्वेस्टिगेशन – कोई भी अगर नार्मल क्राइम हो रहा है लेकिन उसमें किसी न किसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जैसे सेल फ़ोन्स, टावर लोकेशंस, लैपटॉप्स का इस्तेमाल होना, इन मामलों में साइबर सिक्योरिटी प्रोजेक्ट की टीम बेस्ट टूल्स और सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके इंवेस्टिगेशन करेंगी. 

3. COE यानि सेंटर ऑफ एक्ससिलेंस – इसमे प्राइवेट सेक्टर, जुडिशरी से जुड़े लोगों को, लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों से जुड़े लोगों को साइबर सिक्योरिटी के बारे में वर्ल्ड क्लास ट्रेनिंग दी जाएगी.

महाराष्ट्र साइबर सेल के IG यशस्वी यादव ने कहा, ये एजेंसी एक नोडल एजेंसी होगी जो सिर्फ मुंबई ही नही बल्कि महाराष्ट्र के दूसरे तमाम जगहों पर होने वाले साइबर क्राइम में सभी एजेंसियो के साथ मिलकर काम करेगी. अभी कई अहम मामलों की जांच के लिए थर्ड पार्टी ऑडिट करनी पड़ती है, लेकिन इसके बाद सब कुछ एक ही जगह पर बैठकर किया जाएगा.

एक्शन मोड में होगा काम

अब भविष्य में अगर किसी भी साइबर हमले या साइबर क्राइम में किसी मेल या सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जाता है तो इस नोडल एजेंसी की मदद से उसका IP एड्रेस भी तुरंत खोज लिया जाएगा. यही नहीं हाल ही में जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस के इस्तेमाल को लेकर भी बहुत विवाद हुआ था. इस प्रोजेक्ट के ज़रिए बेहद कम वक्त इस तरह के जासूसी सॉफ्टवेयर्स का पता लगाया जा सकेगा. इसके साथ ही इस प्रोजेक्ट के तहत एथिकल हैकिंग को बढ़ावा देने के लिए हैकेथॉन भी कराया जाएगा.

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