Maharashtra political crisis: एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे की एमवीए सरकार संकट में आ गई है। महा विकास अघाड़ी के गठबंधन के अन्य घटक कांग्रेस और एनसीपी भी सरकार को बचाने की लगातार कोशिश में है। इस बीच सूत्रों बता रहे हैं कि शिवसेना महाराष्ट्र विधानसभा उपाध्यक्ष को बागी विधायकों में से 15 को अयोग्य ठहराने की अपील कर सकती है।
एकनाथ शिंदे पहले ही दलबदल विरोधी कानून का उल्लंघन किए बिना विधानसभा में शिवसेना को विभाजित करने के लिए आवश्यक 37 की महत्वपूर्ण संख्या तक पहुंच चुके हैं। इस बीच खबर यह भी है कि शिवसेना के तीन और विधायक बागी खेमे में शामिल हो गए हैं। जिससे शिंदे गुट को और मजबूती मिल गई है।
उद्धव ठाकरे के पास इस वक्त न सिर्फ सरकार बल्कि अपने पिता बालासाहब ठाकरे की विरासत शिवसेना को बचाने का भी दबाव है। शिंदे खुद को असली शिवसैनिक कह रहे हैं और सूत्र बता रहे हैं कि वे उद्धव से न सिर्फ सीएम कुर्सी बल्कि शिवसेना प्रमुख पद भी छीनने के मूड में हैं। महा विकास अघाड़ी ने पहले दावा किया था कि शिंदे गुट के पास सिर्फ 17 विधायकों का बल है। जबकि शिंदे की ओर से जारी वीडियो में 40 विधायकों की पुष्टि हो चुकी है।
बागियों को कैसे देगी चोट
इस बीच शिवसेना बागियों को बड़ी चोट देने पर विचार कर रही है। शिवसेना का मानना है कि अगर विधानसभा उपाध्यक्ष को वो सभी बागी विधायकों के बजाय सिर्फ 15 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता प्रस्ताव भेजते हैं तो उस पर पहले फैसला लिया जा सकता है। ऐसे में शिंदे गुट को बड़ा झटका लग सकता है।
शरद पवार भी दे चुके हैं संकेत
इससे पहले मीडिया से बातचीत में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने दोहराया कि उद्धव ठाकरे सरकार विधानसभा में बहुमत साबित करेगी और सरकार बनाने में कामयाब रहेगी। उन्होंने बागी विधायकों को कीमत चुकाने की बात भी कही।
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