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- The Pain Of Jakhar Spilled Over Not Becoming CM, Narrow Minded Small People Tried To Divide Punjab To Get A High Position; Forgot The Message Of The Guru Too
जालंधर9 मिनट पहले
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सिद्धू से पहले पंजाब कांग्रेस के प्रधान रहे जाखड़ का ट्वीट।
पंजाब का CM न बन पाने के बाद अब सुनील जाखड़ का दर्द छलका है। सुनील जाखड़ ने अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह का एक बयान ट्वीट किया है। जिसमें वे CM के सिख या हिंदू होने को सेकेंडरी बता रहे हैं। जाखड़ ने कहा कि अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के यह दूरदर्शी शब्दों के लिए इससे बेहतर वक्त नहीं हो सकता था। जब संकीर्ण सोच वाले छोटे लोगों ने हाई पोजिशन पाने के लिए पंजाब को वर्ग, जाति और पहचान के आधार पर बांटने की कोशिश की। वह गुरु जी के ‘मानस की जात सबे एको पहिचानबो’ के संदेश को भी भुला दिया।
कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद सुनील जाखड़ कांग्रेस हाईकमान की पहली पसंद थे। जाखड़ पंजाब से बाहर बेंगलुरु में थे। उन्हें संदेश भेजकर बुलाया गया। इसके बाद पंजाब प्रभारी हरीश रावत और केंद्रीय पर्यवेक्षकों अजय माकन और हरीश चौधरी को चंडीगढ़ भेजा गया। उन्हें भी यही बात कही गई थी।
विधायक सिख स्टेट-सिख सीएम पर अड़े तो जाखड़ हो गए बाहर
जब पर्यवेक्षकों ने विधायक दल की बैठक शुरू की तो उसमें जाखड़ के नाम का विरोध शुरु हो गया। विधायकों ने कहा कि पंजाब सिख स्टेट है। यहां पर सिख ही CM होना चाहिए। उन्हें कांग्रेस हाईकमान की इच्छा बताई गई तो विधायक बोले कि कांग्रेस बाकी राज्यों में भी सत्ता में है। वहां हिंदू CM बना सकती है। सिखों के लिए सिर्फ पंजाब ही है। इस वजह से जाखड़ का पत्ता कट गया।
कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ सुनील जाखड़।
जाखड़ कैंप का दावा, 40 विधायकों का समर्थन था, फिर भी नहीं मानी गई
जाखड़ कैंप का यह भी दावा है कि विधायक दल की बैठक में उनके समर्थन में 65 में से 40 विधायक थे। इसलिए उनका दावा मजबूत था। फिर भी सिख स्टेट-सिख सीएम का मुद्दा बनाकर उन्हें CM की दौड़ से बाहर कर दिया गया। हालांकि इसके बाद जाखड़ को डिप्टी सीएम बनाने का भी ऑफर दिया गया था। जिसे उन्होंने नकार दिया। इसी वजह से अब उन्होंने ट्वीट के जरिए अपना यह दर्द बयान किया है।
रंधावा भी हुए दौड़ से बाहर, चन्नी बन गए CM
कांग्रेस के अंदरुनी सूत्र बताते हैं कि जाखड़ के जरिए कांग्रेस हाईकमान पंजाब में हिंदू-सिख संतुलन साधना चाहती थी। पार्टी प्रधान नवजोत सिद्धू जट्ट सिख हैं। CM की कुर्सी पर जाखड़ के आने से हिंदू नेता आ जाता। सिख स्टेट का मुद्दा उठने के बाद सुखजिंदर रंधावा को लेकर सहमति बनने लगी। हालांकि जाखड़ का नाम हटने के बाद नवजोत सिद्धू ने भी दावा ठोक दिया। उन्होंने कहा कि जट्ट सिख को ही बनाना है तो फिर उन्हें CM बनाया जाए। इस वजह से रंधावा कमजोर पड़ गए और सिद्धू की इच्छा से सिख-दलित चेहरे चरणजीत चन्नी को CM की कुर्सी मिल गई।
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