National Security Act-1980: राजधानी दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में हनुमान जयंती के दिन सांप्रदायिक हिंसा (Jahangirpuri Violence) भड़की. इस हिंसा में 8 पुलिसकर्मियों समेत 9 लोग घायल हुए. इस मामले में 14 जांच एजेंसियां जांच कर रही हैं. वहीं दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच 80 से अधिक लोगों की संदिग्ध भूमिका होने की जांच कर रही है. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने गृह मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में आपराधिक षड्यंत्र के तहत हिंसा होने की बात कही. इसके साथ ही दिल्ली पुलिस ने हिंसा में शामिल 5 आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए नेशनल सिक्युरिटी एक्ट (National Security Act) यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाया है. लेकिन क्या आप जानते हैं रासुका या NSA क्या होता है? आइए बताते हैं.
बिना आरोप साबित हुए 1 साल तक हो सकती है जेल
रासुका का अर्थ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (National Security Act) है. इसमें हिरासत में लिए व्यक्ति को अधिकमत 1 साल जेल में रखा जा सकता है. अगर पुलिस को लगता है कि आरोपी राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए खतरा है तो वो उसे बिना किसी आरोप के भी एक साल तक जेल में रख सकती है. लेकिन सरकार को मामले से संबंधित नवीन सबूत मिलने पर इस समयसीमा को बढ़ाया जा सकता है.
ये है कानूनी प्रावधान
NSA एक निवारक निरोध कानून है. निवारक निरोध के तहत भविष्य में किसी व्यक्ति को अपराध करने या अभियोजन से बचने से रोकने के लिये हिरासत में लिया जाना शामिल है. संविधान का अनुच्छेद 22 (3) (ब) राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था की स्थापना हेतु व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर निवारक निरोध और प्रतिबंध की अनुमति प्रदान करता है. इसके अलावा अनुच्छेद 22 (4) में कहा गया है कि निवारक निरोध के तहत हिरासत में लिये जाने का प्रावधान करने वाले किसी भी कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को तीन महीने से अधिक समय तक हिरासत में रखने का अधिकार नहीं दिया जाएगा.
साल 1980 में बना था कानून
देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान 23 सितंबर 1980 को इसे बनाया गया था. हालांकि, इस कानून की रूपरेखा लगभग दो सदी पहले 1818 में ब्रिटिश काल के दौरान तैयार हुई थी. ये कानून देश की सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित है. इस कानून के तहत केंद्र और राज्य सरकार संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के हिरासत में लेने की शक्ति मिलती है.
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NSA को लागू करने वाली परिस्थितियां
अगर कोई व्यक्ति पुलिस हिरासत में है, तो भी डीएम उसके खिलाफ NSA लागू कर सकता है.
यदि किसी व्यक्ति को ट्रायल कोर्ट द्वारा जमानत दी गई है, तो उसे तुरंत NSA के तहत हिरासत में लिया जा सकता है.
यदि व्यक्ति अदालत से बरी हो गया है, तो उस व्यक्ति को NSA के तहत हिरासत में लिया जा सकता है.
कानून के विरोध में लोग देते हैं ये दलील
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-22 के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति को पुलिस हिरासत में लिये जाने के 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाना अनिवार्य है, जबकि NSA के तहत इस प्रकार का कोई प्रावधान नहीं है. इसके अलावा हिरासत में लिये गए व्यक्ति को आपराधिक न्यायालय के समक्ष जमानत याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है. इस वजह से कई लोग इसे संवैधानिक अधिकारों का हनन मानते हैं.
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