SC on Freebies Schemes: सुप्रीम कोर्ट में मुफ्त सुविधाओं मामले में सुनवाई हुई. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम राजनीतिक पार्टियों को चुनावी वादे करने से नहीं रोक सकते. ये वादे किसी पार्टी के सत्ता में आने की गांरटी भी नहीं हैं. कोर्ट ने सभी पक्षों को इस बारे में शनिवार तक सुझाव देने को कहा है. अब अगली सुनवाई सोमवार को होगी.
राजनीतिक वादे नहीं हैं जीतने की कसौटी
कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि हमारे पास आए तमाम सुझाव में से एक ये भी है कि राजनीतिक दलों को अपने मतदाताओं से वादा करने से नहीं रोका जाना चाहिए. अब सवाल ये है कि किसे मुफ्तखोरी कहा जाए. क्या मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं, मुफ्त बिजली-पानी को मुफ्तखोरी कहा जा सकता है. मनरेगा जैसी योजनाएं भी हैं, जो सम्मान पूर्वक जीवन का वादा करती है. मुझे नहीं लगता कि राजनीतिक वादे ही एकमात्र जीतने की कसौटी हैं. वादे करने के बाद भी पार्टियां हार जाती हैं.
चीफ जस्टिस ने मांगे सुझाव
चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि आप सभी अपने सुझाव दीजिए. उसके बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि सवाल ये है कि किसको वाजिब वादा कहा जाए और किसे मुफ्तखोरी? क्या फ्री शिक्षा, बिजली जैसी सुविधाएं मुफ्तखोरी है. इस पर व्यापक विचार विमर्श की जरूरत है.
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