सुप्रीम कोर्ट आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है। इससे पहले 30 अप्रैल को हुई सुनवाई में कोर्ट ने गिरफ्तारी के समय को लेकर सवाल करते हुए ईडी से जवाब मांगा था। इसी के साथ कुछ अन्य सवालों के जवाब भी मांगे थे। ईडी आज इन्ही सभी सवालों के जबाव देगी है। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है।
इससे पहले 30 अप्रैल को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई जारी रखते हुए ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कई सवाल पूछे और शुक्रवार को इनका जवाब मांगा। पीठ ने राजू से कहा, ‘‘जीवन और स्वतंत्रता बेहद अहम हैं। आप इससे इनकार नहीं कर सकते।’’ इस मामले से जुड़ी पल-पल के अपडेट के लिए बने रहिए हमारे साथ-
LIVE UPDATE
2,20 PM: अभिने। मनु सिंघवी ने केजरीवाल का पक्ष रखते हुए कहा, मैं एक समनी हूं। मैं आरोपी या दोषी नहीं हूं। आखिरी समन 16 मार्च 2024 को आया था। इसमें मुझसे 21 मार्च को पेश होने के लिए कहा गया थे. इससे ये साफ है कि मैं 16 मार्च तक आरोपी की स्थिति में नहीं हूं। तो फिर अचानक से क्या बदल गया?
2.25 PM: इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा, जब तक आप गिरफ्तार नहीं हो जाते, आप आरोपी नहीं हैं। वहीं सिंघवी ने कहा, सिंघवी: केजरीवाल ने लिखित में पूछा था कि क्या वह आरोपी हैं। ईडी की अपनी समझ के मुताबिक वह 16 मार्च तक आरोपी नहीं थे तो 21 मार्च को वह अचानक कोर्ट से यह कैसे कह सकते हैं कि केजरीवाल को गिरफ्तार करना जरूरी है।
2.27 PM: सिंघवी ने कहा, जिन सभी सबूतों के आधार पर केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है वह 2023 से पहले के हैं। हर सामग्री जुलाई, 2023 जैसी है। मनीष सिसौदिया के मामले में भी यही सबूत आधार बनाए गए थे। मनी ट्रेल चार्ट वही था।
2.30 PM: सिघवी ने ये भी दलील दी कि सेक्शन 70 PMLA .. किसी राजनीतिक दल द्वारा किए गए किसी भी काम या हर चीज के लिए उसके संयोजक या अध्यक्ष को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
2.32 PM: कोर्ट ने कहा, आप गलत हैं। कोई भी व्यक्ति जो कंपनी का प्रभारी है। अगर कंपनी कोई अपराध करती है तो कंपनी के साथ-साथ उसका प्रभारी भी जिम्मेदार है। कंपनी की परिभाषा में एसोसिएशन शामिल है।
2. 40pm: सिंघवी ने कहा, ईडी कहती है कि पूरी साजिश के पीछे केजरीवाल का दिमाग है।वह रिश्वत की मांग में शामिल हैं। लेकिन इसका कोई डायरेक्ट सबूत नहीं है। यह विधेयात्मक अपराध है, पीएमएलए नहीं।
3.08 pm: ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कोर्ट से सेक्शन 19 पीएमएलए पर गौर करने के लिए कहा। जस्टिस खन्ना ने कहा, जांचकर्ता को कारण देने होंगे। सभी चीजों पर विचार करने के बाद जांचकर्ता को इस निष्कर्ष पर पहुंचना होगा कि आरोपी दोषी है।
3. 20pm: राजू ने कहा, विश्वास करने के वजह तक पहुंचने के लिए 4 अलग-अलग चरण हैं। सबसे निचला चरण गिरफ्तारी के समय होता है। जस्टिस दत्ता ने कहा, पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी सबसे निचली सीमा नहीं है। राजू: मुझे पता है। इस पर जस्टिस दत्ता ने कहा, तो फिर आपको इसे अलग तरीके से रखना चाहिए था।
3.45 pm: जस्टिस खन्ना ने कहा, कोर्ट इस बात की जांच कैसे करें कि जांचकर्ता का अपराध के बारे में राय बनाना उचित था या नहीं। इस पर राजू ने कहा, कोर्ट सामग्री देखे। यह एक ऐसा मामला है जहां राय बनाने के लिए सामग्री रिलेवेंट है। अगर कोई सबूत नहीं थी .या कोई सबूत ऐसे थे जिनका गिरफ्तारी से कोई लेना देना नहीं था तो अदालत गिरफ्तारी को अस्वीकार कर सकती है। न्यायालय का क्षेत्राधिकार बहुत सीमित है।
3.51pm एसजी राजू ने कहा, यह केवल जांचकर्ता की राय नहीं है बल्कि उस एक मजिस्ट्रेट ने इसे भी माना है जिसे इस अदालत द्वारा अधिकार प्राप्त है। इसके अलावा गिरफ्तार होने से पहले, उन्होंने अंतरिम राहत के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था।
3.55 pm: एसजी राजू ने कहा, टाल-मटोल वाले जवाब गिरफ़्तारी का आधार नहीं हो सकते लेकिन उन पर विचार किया जा सकता है। वे आखिरी तिनका हो सकते हैं।
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