PFI Ban: पीएफआई पर सरकार की ओर से लगाया बैन जारी रहेगा या नहीं, इस तरह होगा फैसला

PFI Ban: पीएफआई पर सरकार की ओर से लगाया बैन जारी रहेगा या नहीं, इस तरह होगा फैसला

UAPA Tribunal PFI Ban: केंद्र की सरकार (Center Government) ने दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) के जज जस्टिस दिनेश शर्मा को यूएपीए ट्रिब्यूनल (UAPA Tribunal) का पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया है. ये ट्रिब्यूनल ही पीएफआई (PFI) और उससे जुड़े संगठनों पर केंद्र सरकार की ओर से लगाये गए प्रतिबंध की समीक्षा करेगा. किसी संगठन पर  केन्द्र सरकार की ओर से लगाये प्रतिबंध की यूएपीए ट्रिब्यूनल से पुष्टि करानी ज़रूरी होती है.

PFI और उससे जुड़े संगठनों पर लगा है बैन

28 सितंबर को केंद्र सरकार में पीएफआई और उससे जुड़े संगठनों को UAPA के सेक्शन 3(1) के तहत मिले अधिकार का इस्तेमाल करते हुए 5 साल के लिए बैन लगा दिया था. केंद्र की सरकार ने पीएफआई के अलावा रेहाब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम कॉउन्सिल, नेशनल कंफेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन, नेशनल वीमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रेहाब फाउंडेशन केरल पर प्रतिबंध लगा दिया है. दरअसल सरकार का कहना था कि इन संगठनों के वैश्विक आतंकी संगठनों से संबंध है. ये सभी भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने के मकसद से लगातार  गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल रहे है.

ट्रिब्यूनल करेगा सरकार की ओर से लगाये गए बैन की पुष्टि

नियमों के मुताबिक किसी संगठन पर केंद्र सरकार की ओर से लगाये प्रतिबंध की यूएपीए ट्रिब्यूनल से पुष्टि करानी ज़रूरी होती है. यूएपीए के सेक्शन 3 (UAPA Section 3) के मुताबिक किसी संगठन को गैरकानूनी करार दिये जाने के 30 दिन के अंदर इस बारे में जारी नोटिफिकेशन को सरकार ट्रिब्यूनल के पास भेजती है. इसके बाद ट्रिब्यूनल ये तय करता है कि क्या वाकई उस संगठन को ग़ैरकानूनी करार दिए जाने के लिए पर्याप्त वजह है. ट्रिब्यूनल में एक ही सदस्य होते है, जो  दिल्ली हाई कोर्ट के जज होते है. वो न्यायिक प्रकिया को सुचारू रूप से अंजाम दे सके, इसके लिए सरकार उन्हें अलग से स्टाफ भी उपलब्ध कराती है.

PFI से जवाब तलब करेगा ट्रिब्यूनल

इस केस में  यह ट्रिब्यूनल पीएफआई, उससे जुड़े संगठनों को नोटिस जारी करते हुए 30 दिनों के अंदर जवाब देने को कहेगा. प्रतिबंधित संगठनों से पूछा जाएगा कि क्यों न उन्हें गैरकानूनी घोषित कर दिया जाएगा. उनके जवाब के बाद ट्रिब्यूनल यह तय करेगा कि ये प्रतिबंध जारी रहेगा या नहीं.

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