वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ग्लास्गो
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Sun, 07 Nov 2021 07:02 PM IST
सार
स्कॉटलैंड के ग्लास्गो में चल रहे कॉप26 जलवायु शिखर सम्मेलन का पहला सप्ताह शनिवार को पूरा हुआ। इस मौके पर भारत समेत कुल 27 देशों ने जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के संकट से निपटने के लिए सतत कृषि के एक्शन एजेंडा पर हस्ताक्षर किए।
सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : पेक्सेल्स
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इन देशों ने देशों ने अधिक सतत और कम प्रदूषणकारी बनने के लिए अपनी कृषि नीतियों को बदलने और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ खाद्य आपूर्ति की रक्षा के लिए आवश्यक विज्ञान में निवेश करने के लिए नई प्रतिबद्धताएं जताईं। यूनाइटेड किंगडम के कैबिनेट मंत्री और कॉप26 के अध्यक्ष आलोक शर्मा ने कहा कि अगर हमें ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करना है और तापमान के लक्ष्य को बरकरार रखना है तो दुनिया को भूमि का स्थाई उपयोग करना होगा और प्रकृति की सुरक्षा व बहाली को ध्यान में रखकर आगे के कदम उठाने होंगे।
‘दोहरे संकट को दूर करने में योगदान देंगीं नई प्रतिबद्धताएं’
भारतीय मूल के आलोक शर्मा ने कहा कि आज देशों ने जो प्रतिबद्धताएं प्रदर्शित की हैं वो दिखाती हैं कि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रकृति और भूमि के उपयोग को जरूरी माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान के दोहरे संकटों को दूर करने में योगदान देगा। शर्मा ने कहा कि कॉप26 सम्मेलन के दूसरे सप्ताह में मैं सभी पक्षों से रचनात्मक समझौतों और जरूरी महात्वाकांक्षाओं के साथ आगे आने का आग्रह करता हूं ताकि इस गंभीर संकट से समय रहते निपटा जा सके।
भारत के अलावा इन देशों ने किए एक्शन एजेंडा पर हस्ताक्षर
इस एक्शन प्लान पर भारत के अलावा 26 और देशों ने भी हस्ताक्षर किए हैं। इनमें ऑस्ट्रेलिया, युगांडा, मेडागास्कर, तंजानिया, वियतनाम, नाइजीरिया, लेसोथो, लाओस, इंडोनेशिया, गिनी, घाना, जर्मनी, फिलीपींस, इथियोपिया, यूनाइटेड किंगडम, कोलंबिया, कोस्टा रिका, मोरक्को, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, सिएरा लियोन, स्पेन, स्विट्जरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) आदि देश शामिल हैं। इन देशों ने जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए भूमि का सही इस्तेमाल करने के लिए नई और प्रभावी नीतियां अपनाने का संकल्प लिया।
एक सप्ताह पूरा कर चुके इस सम्मेलन का अभी एक सप्ताह और आयोजन होना है। इस दौरान लगभग 200 देशों के प्रतिनिधि साल 2030 कर कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के तरीकों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और प्रिंस चार्ल्स जैसी शख्सियतें इस अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में शामिल हो रही हैं। ब्रिटेन की अध्यक्षता में हो रहा यह जलवायु शिखर सम्मेलन 31 अक्तूबर को शुरू हुआ था और इसका समापन आगामी 12 नवंबर को होगा।
विस्तार
इन देशों ने देशों ने अधिक सतत और कम प्रदूषणकारी बनने के लिए अपनी कृषि नीतियों को बदलने और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ खाद्य आपूर्ति की रक्षा के लिए आवश्यक विज्ञान में निवेश करने के लिए नई प्रतिबद्धताएं जताईं। यूनाइटेड किंगडम के कैबिनेट मंत्री और कॉप26 के अध्यक्ष आलोक शर्मा ने कहा कि अगर हमें ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करना है और तापमान के लक्ष्य को बरकरार रखना है तो दुनिया को भूमि का स्थाई उपयोग करना होगा और प्रकृति की सुरक्षा व बहाली को ध्यान में रखकर आगे के कदम उठाने होंगे।
‘दोहरे संकट को दूर करने में योगदान देंगीं नई प्रतिबद्धताएं’
भारतीय मूल के आलोक शर्मा ने कहा कि आज देशों ने जो प्रतिबद्धताएं प्रदर्शित की हैं वो दिखाती हैं कि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रकृति और भूमि के उपयोग को जरूरी माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान के दोहरे संकटों को दूर करने में योगदान देगा। शर्मा ने कहा कि कॉप26 सम्मेलन के दूसरे सप्ताह में मैं सभी पक्षों से रचनात्मक समझौतों और जरूरी महात्वाकांक्षाओं के साथ आगे आने का आग्रह करता हूं ताकि इस गंभीर संकट से समय रहते निपटा जा सके।
भारत के अलावा इन देशों ने किए एक्शन एजेंडा पर हस्ताक्षर
इस एक्शन प्लान पर भारत के अलावा 26 और देशों ने भी हस्ताक्षर किए हैं। इनमें ऑस्ट्रेलिया, युगांडा, मेडागास्कर, तंजानिया, वियतनाम, नाइजीरिया, लेसोथो, लाओस, इंडोनेशिया, गिनी, घाना, जर्मनी, फिलीपींस, इथियोपिया, यूनाइटेड किंगडम, कोलंबिया, कोस्टा रिका, मोरक्को, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, सिएरा लियोन, स्पेन, स्विट्जरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) आदि देश शामिल हैं। इन देशों ने जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए भूमि का सही इस्तेमाल करने के लिए नई और प्रभावी नीतियां अपनाने का संकल्प लिया।
एक सप्ताह पूरा कर चुके इस सम्मेलन का अभी एक सप्ताह और आयोजन होना है। इस दौरान लगभग 200 देशों के प्रतिनिधि साल 2030 कर कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के तरीकों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और प्रिंस चार्ल्स जैसी शख्सियतें इस अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में शामिल हो रही हैं। ब्रिटेन की अध्यक्षता में हो रहा यह जलवायु शिखर सम्मेलन 31 अक्तूबर को शुरू हुआ था और इसका समापन आगामी 12 नवंबर को होगा।
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