DNA with Sudhir Chaudhary: शाहीन बाग में लागू नहीं होता संविधान, भारत के अंदर कितने ‘मजहबी मोहल्ले’?

DNA with Sudhir Chaudhary: शाहीन बाग में लागू नहीं होता संविधान, भारत के अंदर कितने ‘मजहबी मोहल्ले’?

DNA with Sudhir Chaudhary: आज भारत के 140 करोड़ लोग एक सवाल पूछ रहे हैं और वो ये कि क्या शाहीन बाग अब भारत का हिस्सा नहीं रहा? क्या शाहीन बाग में भारत के कानून लागू नहीं होंगे? क्या शाहीन बाग में भारत की पुलिस और सेना प्रवेश नहीं कर पाएगी? क्या आपकी आने वाली पीढ़ियों को शाहीन बाग में जाने के लिए अब अलग से वीजा लेना पड़ेगा? आज दिल्ली के शाहीन बाग में जो कुछ हुआ है, आप सबको उससे डरने की जरूरत है.

खाली हाथ क्यों लौटा बुलडोजर?

आज शाहीन बाग में अतिक्रमण हटाने के लिए दिल्ली नगर निगम के बुलडोजर दिल्ली पुलिस की सुरक्षा लेकर पहुंचे. लेकिन वहां रहने वाले एक खास धर्म के लोगों ने इस कार्रवाई को पूरा नहीं होने दिया. बल्कि इसे धार्मिक रंग दे दिया और विपक्ष के नेताओं और स्थानीय लोगों ने इस पूरी कार्रवाई को मुसलमानों पर अतिक्रमण का मामला बना दिया. शायद देश में ऐसा पहली बार हुआ है, जब बुलडोजरों को किसी इलाके से खाली हाथ लौटना पड़ा. ये एक बहुत चिंताजनक खबर है. क्योंकि आप जिस भी शहर में रहते हों, वहां पर भी शाहीन बाग जैसा कोई ना कोई इलाका ऐसा जरूर होगा, जहां पुलिस भी नहीं जा सकती और अब देश में ऐसे इलाकों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है.

आज दिल्ली नगर निगम के अधिकारी बुलडोजर के साथ शाहीन बाग में अवैध निर्माण को हटाने के लिए पहुंचे थे. लेकिन तीन घंटे की कोशिश के बाद भी नगर निगम के बड़े बड़े अधिकारी भारी पुलिसबल होते हुए भी अतिक्रमण को हटा नहीं सके. सोचिए, सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने वाले लोगों ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस को उनका काम करने से ही रोक दिया और नगर निगम को बिना कार्रवाई किए ही बुलडोजर वहां से हटाने पड़े. ये इस तरह का शायद पहला मामला होगा, जब भारत का संविधान और भारत का कानून एक इलाके के लोगों के सामने बेबस हो गया.

शाहीन बाग में 101 दिन बंद रही सड़क

वर्ष 2019 में जब नागरिकता संशोधन कानून आया था, उस समय भी शाहीन बाग में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे और एक खास समुदाय के लोगों ने 101 दिनों तक शाहीन बाग की सड़कों को बन्द कर दिया था. उस समय भी हमारे देश की संवैधानिक व्यवस्था और कानून इन सड़कों को खुलवा नहीं पाए थे और आज भी ठीक वैसा ही हुआ.

दिल्ली नगर निगम के मुताबिक इस इलाके में लोगों ने फुटपाथ पर काफी समय से अतिक्रमण किया हुआ था. अवैध कब्जे को हटाने के लिए उन्हें कई बार नोटिस भी दिए गए थे. इसके अलावा आज की कार्रवाई को लेकर भी इलाके के लोगों को पहले से ही जानकारी दे दी गई थी. लेकिन आरोप है कि बुलडोजर को रोकने के लिए वहां पहले सैकड़ों लोग इकट्ठा हो गए और इसके बाद इन लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया.

इन लोगों ने इस कार्रवाई को एक खास धर्म से जोड़ दिया और ये कहा कि जब अतिक्रमण कई वर्षों से है तो नगर निगम ये कार्रवाई आज ही क्यों कर रहा है? यानी इन लोगों के कहने का मतलब ये था कि जब पिछले कई वर्षों से ये अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो ये कार्रवाई अब क्यों हो रही है?

देश में हिन्दू या मुस्लिम इलाका कैसे?

इसके अलावा एक महिला इस कार्रवाई के विरोध में बुलडोजर पर चढ़ गई और उसने ये कहा कि प्रशासन मुस्लिम इलाकों पर बुलडोजर कैसे चला सकता है? आज हम ये सवाल आप सबसे पूछ रहे हैं कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में कोई भी जगह, हिन्दू इलाका या मुस्लिम इलाका कैसे हो सकती है? क्योंकि ना तो हमारे संविधान में और ना ही हमारे सरकारी Records में किसी स्थान को इस तरह से चिन्हित किया गया है. लेकिन इसके बावजूद जब इस तरह की कार्रवाई होती है तो उसका ये कहते हुए विरोध किया जाता है कि ये मुस्लिम इलाके में कैसे हो सकता है?

आज शाहीन बाग के इन लोगों ने देशभर में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने वाले और गैर कानूनी काम करने वाले लोगों के सामने एक नया फॉर्मूला पेश किया है कि वो कैसे पुलिस और कानून को अपने खिलाफ कार्रवाई करने से रोक सकते हैं. ये काम ज्यादा मुश्किल नहीं है. क्योंकि ऐसे मामलों में धर्म का फॉर्मूला काम करता है और आज अगर हमने इस धर्म या समुदाय का नाम ले लिया तो हमें जान से मारने की धमकियां मिलने लगेंगी और हो सकता है कि हमारे खिलाफ FIR भी हो जाए. इसलिए हम यहां किसी का नाम नहीं लेंगे. लेकिन जो सच है, वो भी हम आपसे नहीं छिपाएंगे.

शाहीन बाग में नहीं चलता कानून

शाहीन बाग में आज 500 मीटर से ज्यादा के इलाके में अवैध कब्जे पर बुलडोजर चलना था. लेकिन इस इलाके में रहने वाले एक खास समुदाय के लोगों ने ये तय किया कि वो ना तो पुलिस को वहां प्रवेश करने देंगे और ना ही बुलडोजर को वहां आने देंगे. इसलिए इन लोगों ने नगर निगम की टीम के पहुंचने से पहले ही फुटपाथ पर किए गए अतिक्रमण को हटा लिया और पुलिस से ये कहा कि अब जब कोई अतिक्रमण रहा ही नहीं तो वो इस इलाके में क्या करने आए हैं? यानी ये लोग सरकारी अधिकारियों को वहां प्रवेश करने से भी रोक रहे थे.

आज दिल्ली का शाहीन बाग एक ऐसा इलाका बन चुका है, जहां आप कहीं भी मकान बना सकते हैं, दुकान बना सकते हैं, अतिक्रमण कर सकते हैं. क्योंकि यहां अब सरकार की जमीन बची ही नहीं है. यहां अब बस कुछ खास समुदाय के लोगों की जमीन रह गई है और यहां कानून भी इन्हीं का चलता है.

बुलडोजर से खतरे में आया संविधान?

बड़ी बात ये है कि जहांगीरपुर की घटना से अब तक दिल्ली में MCD 30 से ज्यादा जगहों पर अतिक्रमण के खिलाफ बुलडोजर चला चुका है और इनमें से ज्यादातर कार्रवाई उन इलाकों में हुई है, जहां हिन्दू रहते हैं. लेकिन इसके बावजूद इन इलाकों में हुई कार्रवाई के खिलाफ ना तो कोई सुप्रीम कोर्ट गया और ना ही यहां बुलडोजर चलने से देश का संविधान खतरे में आया. सोचिए, ऐसा क्यों है कि देश का संविधान तभी खतरे में आता है, तब अतिक्रमण एक खास धर्म के लोगों ने किया होता है?

आज शाहीन बाग में बुलडोजर रुकवाने के लिए पहुंचे आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान के समर्थन में भी जबरदस्त नारेबाजी हुई. आरोप है कि अमानतुल्लाह खान के ही समर्थकों ने बुलडोजरों को शाहीन बाग के अन्दर प्रवेश नहीं करने दिया. जिसके बाद MCD की तरफ से पुलिस में उनके खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई गई है. लेकिन शाहीन बाग के लोग अमानतुल्लाह खान से काफी खुश हैं और पूरे इलाके में उनके नाम के नारे गूंज रहे हैं. हमें लगता है कि ये एक खतरनाक ट्रेंड की शुरुआत है क्योंकि भविषय में इस तरह की कार्रवाई के दौरान जो नेता अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई रुकवा देगा, वो तो चुनाव जीत जाएगा. जो नेता ये कहेगा कि अतिक्रमण नहीं होना चाहिए और सड़क लोगों के चलने के लिए होनी चाहिए, वो नेता हार जाएगा.

आज शाहीन बाग में बुलडोजर रुकवाने के लिए हमारे देश का लिबरल गैंग भी एक्टिव हो गया. इस मामले में आज लेफ्ट पार्टी CPM की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें अदालत से ये कहा गया कि वो शाहीन बाग में अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई को रोकने का आदेश जारी करे.

लिबरल गैंग और विपक्ष हुआ एक्टिव

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया और ये कहा कि अदालत को राजनीति का मंच नहीं बनाया जाना चाहिए. अदालत ने ये भी कहा कि उसने जहांगीरपुरी मामले में दखल दिया था, तो इसका ये मतलब नहीं है कि ऐसे हर मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में की जाएगी. इसके अलावा कांग्रेस ने भी आज शाहीन बाग में प्रदर्शन करके इस कार्रवाई का विरोध किया और विपक्षी दलों ने इस पूरे मामले को अल्पसंख्यकों से जोड़ दिया है. यानी शाहीन बाग को लेकर हमारे देश का लिबरल गैंग और विपक्षी नेता एक्टिव हो गए हैं.

भारत के विभाजन की पहली नींव वर्ष 1940 में रखी गई थी. उस समय मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेश में मोहम्मद अली जिन्नाह ने पाकिस्तान नाम का अलग देश बनाने की पहली बार मांग की थी. यानी उन्होंने Two Nation Theory का विचार पहली बार इस मंच से रखा था. इस अधिवेशन में जिन्ना ने जो भाषण दिया था, आज मैं उसकी कॉपी अपने साथ लाया हूं.

जिन्ना की थ्योरी मानने वाले लोग

इसमें वो कहते हैं कि ‘भारत के मुसलमान अल्पसंख्यक नहीं हैं बल्कि वो एक अलग राष्ट्र हैं. इसलिए मुसलमानों को अलग देश और अलग सरकार मिलनी चाहिए. अगर हिन्दू और मुसलमानों को मिला कर एक राष्ट्र बनाया जाता है तो ये राष्ट्र कभी कामयाब नहीं होगा और इस राष्ट्र में हमेशा अंसतोष और क्रोध बना रहेगा. इसी भाषण में वो ये भी कहते हैं कि भारत के मुसलमान कोई भी ऐसा संविधान स्वीकार नहीं करेंगे, जिससे बहुसंख्यक हिन्दुओं की सरकार स्थापित होती है. अगर हिन्दू और मुसलमानों को एक प्रजातंत्र में रखा जाता है तो इसका एक ही अर्थ होगा, अल्पसंख्यकों पर हिन्दू राज की स्थापना. इसलिए मोहम्मद अली जिन्ना चाहते थे कि मुसलमानों का अलग देश हो, उनकी अपनी अलग अर्थव्यवस्था हो. अपना संविधान हो और अपने कानून हों. आज हमारे देश में बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जो जिन्ना के समर्थक हैं लेकिन विभाजन के समय ये लोग भारत में ही रह गए थे. लेकिन अब ये भारत में रहते हुए जिन्ना की Two Nation Theory पर काम कर रहे हैं और धर्म के नाम पर भारत के कई टुकड़े कर देना चाहते हैं.

ये शाहीन बाग में पहली बार नहीं हुआ है, वर्ष 2020 में जब शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आन्दोलन हुआ था, उस समय भी इस इलाके की सड़के बन्द कर दी गई थीं और तब मैंने खुद यहां जाने की कोशिश की थी, लेकिन मुझे भी ऐसा करने से रोक दिया गया था.

आज अगर आपने इस खबर से कोई सीख नहीं ली तो आपकी आने वाली पीढ़ियों का सड़कों पर चलना मुश्किल हो जाएगा. सड़कों को भी धर्म के नाम पर बांट दिया जाएगा. हिन्दुओं के चलने के लिए अलग सड़क होगी. मुसलमानों के चलने के लिए अलग सड़क होगी. फिर इसी आधार पर देश के दूसरे संसाधानों को भी धर्म के नाम पर बांटने की कोशिश की जाएगी. ट्रेनें, बसें, स्टेशन और दूसरी तमाम सुविधाएं और सेवाएं हिन्दू और मुसलमान के नाम पर बंट जाएगी. जैसे आज कई इलाके धर्म के हिसाब से बंट गए हैं. हो सकता है कि भविष्य में वहां नई सीमाएं खींच दी जाएं और आपको एक भारत के अन्दर ही कई भारत नजर आने लगें. इसलिए आज आपको ये समझना जरूरी है कि धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म के नाम पर कुछ नहीं हो सकता.

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