आज का शब्द: उचित और हरिवंशराय बच्चन की रचना- तुम्हें अपनी बाँहों में देख 

आज का शब्द: उचित और हरिवंशराय बच्चन की रचना- तुम्हें अपनी बाँहों में देख 

                
                                                             
                            'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- उचित, जिसका अर्थ है- जैसा होना चाहिए वैसा, योग्य। प्रस्तुत है हरिवंशराय बच्चन की रचना- तुम्हें अपनी बाँहों में देख 
                                                                     
                            

तुम्हारे नील झील-से नैन, 
नीर निर्झर-से लहरे केश। 

तुम्हारे तन का रेखाकार 
वही कमनीय, कलामय हाथ 
कि जिसने रुचिर तुम्हारा देश 
रचा गिरि-ताल-माल के साथ, 

करों में लतरों का लचकाव, 
करतलों में फूलों का वास, 
तुम्हारे नील झील-से नैन, 
नीर निर्झर-से लहरे केश। 

उधर झुकती अरुनारी साँझ, 
इधर उठता पूनो का चाँद, 
सरों, शृंगों, झरनों पर फूट 
पड़ा है किरनों का उन्माद, 

तुम्हें अपनी बाँहों में देख 
नहीं कर पाता मैं अनुमान, 
प्रकृति में तुम बिंबित चहुँ ओर 
कि तुममें बिंबित प्रकृति अशेष। 

तुम्हारे नील झील-से नैन, 
नीर झर्झर-से लहरे केश। 

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4 hours ago

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